Aug 28, 2013

कृष्ण लीला


बाजार से झाँवाँ, करौंदे व अशोक की पत्तियाँ खरीदते लोग।


वैसी ही एक दूसरी दुकान।


यह उम्र तो खिलौनौ से खेलने की है !


घर-घर में जन्माष्टमी ।


माँ आनंदमयी आश्रम, भदैनी में कृष्ण मंदिर ।


 बांस फाटक स्थित प्रसिद्ध सत्य नारायण मंदिर ।


गली के एक घर में.. ।


सोनारपुरा  में जन्माष्टमी की झाँकी।




गोपाल मंदिर, चौखंभा के बाहर सजी दुकानें और बारिश से बचने के लिए खड़े लोग।
कृष्ण दर्शन और फोटोग्राफी के चक्कर में रात हो गई, पूरी तरह भीग गया लेकिन आनंद खूब आया। :)
जै श्री कृष्ण !

नोटः ये 2012 की तस्वीरें हैं।

Aug 27, 2013

बनारस में बाढ़


चित्रों का आनंद अद्भुत है। फेसबुक पेज में भी आप आनंद लेते हैं मगर एक चित्र देखकर आनंद लेना और यहाँ ब्लॉग में एक से अधिक चित्र देखकर आनंद लेने में बड़ा फर्क है। यहाँ चित्र आपसे बिन कहे बहुत कुछ कहते मिलेंगे। कभी-कभी संदर्भ भी लिख देता हूँ मगर न लिखूँ तो भी आप समझ ही जायेंगे कि ये चित्रों की पोस्ट क्या कहना चाहती है।

गंगा जी अपने रौद्र रूप में आ चुकी हैं। किनारे रहने वालों के लिए बड़ी भयावह स्थिति है। किसी ने लिखा कि लोग बाढ़ में डूब रहे हैं और आप आनंद ले रहे हैं? बात तो चुभती कही उन्होने मगर सोचिए, ये चित्र न होते हम जान भी न पाते कि लोगों की स्थिति कैसी है! ये चित्र सच्चाई बयान करते हैं। हमे सच्चाई का सामना करना भी सीखना होगा। खुशी देने वाले चित्रों का हम आनंद लेते हैं तो दुःख देने वाले चित्रों का भी आनंद लेना होगा। जैसे खुशी स्थाई नहीं वैसे ही दुःख के पल भी बीत जाते हैं। ये कष्ट के पल ही हैं जो संकट टल जाने के बाद आजीवन आपकी यादों में आ आकर आपको रोमांचित करते रहेंगे, आनंद का एहसास कराते रहेंगे। यही है चित्रों का आनंद।

अब इस चित्र को देखिए। यह आज सुबह की तस्वीर है। गंगा जी में बने खम्भे अब बहुत कम दिख रहे हैं। रेलवे ट्रैक पर मालगाड़ी बहुत ही धीमी रफ्तार से सरक रही है। 


यह लगभग दस दिन पहले की तस्वीर है। अब इस तस्वीर और पहले वाली तस्वीर को साथ-साथ देखने पर आपको अंदाजा हो जायेगा कि गंगा कितनी बढ़ चुकी हैं। 


यह आज सुबह की तस्वीर है। गंगा में लाख बाढ़ आये लेकिन स्नान करने वाले अपना कर्म नहीं छोड़ते। गंगा स्नान के बाद अंगोछा पहन कर एक हाथ में साफ किया हुआ दूसरा अंगोछा, लंगोट और दूसरे हाथ में गंगाजल लिये चले आ रहे हैं।


यह लगभग एक सप्ताह पहले शाम के समय खींची गई तस्वीर है। इसी मार्ग से चलकर उपर वाले सज्जन आ रहे थे। यहीं एक मंदिर है जहाँ दर्शन करने गये होंगे।


यह आज सुबह की तस्वीर है।  


यह लगभग 15 दिन पहले शाम के समय की तस्वीर है। जब गंगा इतनी नहीं बढ़ी थीं। 


Aug 26, 2013

सूर्योदय और कमल के फूल

सारनाथ रेलने स्टेशन के पास यह पुराना पोखरा है। यहाँ सिंगाड़े की खेती होती है।  


अब आप कहेंगे यहाँ कमल कहाँ है? सुबह-सुबह किशोर उम्र के बच्चे सारनाथ से कई स्टेशन आगे जाकर, ताल पोखरा ढूँढकर, कमल के फूल तोड़कर लाते हैं और बुद्ध मंदिर के पास तीर्थ यात्रियों को बेचते हैं। एक लड़का दिखा जो साइकिल में कमल के फूल लिये जा रहा था। मैने उसे रोका और यह तस्वीर खींची।


यह रहा कमल के फूल वाला लड़का।


Aug 20, 2013

बादल




इस तोते ने बहुत परेशान किया। पास आता तो सुंदर तस्वीर खींचता। जैसी करनी वैसी भरनी। जा! ऐसी ही सकल दिखा दुनियाँ को।

घर की छत से..

Aug 15, 2013

राजघाट

बाढ़ से पहले


बाढ़ के बाद


दूर वह चौड़ा स्थान (खिड़किया घाट) जहाँ से ऊपर की दो तस्वीरें खींची गई हैं। यह तस्वीर राजघाट पुल से खींची गई है।