Prinsep Ghat is a ghat built in 1841 during the British Raj, along the Kolkata bank of the Hooghly River in India. The Palladian porch in the memory of the eminent Anglo-Indian scholar and antiquary James Prinsep was designed by W. Fitzgerald and constructed in 1843.
Sep 23, 2023
Sep 20, 2023
राजघाट
Sep 17, 2023
Sep 10, 2023
काशी करवट
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर को राजा मानसिंह के एक सेवक ने अपनी माँ रत्ना देवी के नाम पर बनवाया था, और जब यह मंदिर बनकर तैयार हो गया तो सेवक ने कहा आज मैंने अपनी माँ का कर्ज़ पुरा कर दिया, जिससे भगवान ने क्रोधित होकर मंदिर को एक ओर से धँसा दिया क्योंकि माँ का कर्ज़ कभी अदा नहीं हो सकता है. इस मंदिर में मानसून के दिनों में पूजा नहीं होती है क्योंकि यह मंदिर एक श्रापित मंदिर है.
इस मंदिर के पीछे की दूसरी कहानी यह बताई जाती है कि इंदौर की रानी अहिल्या देवी की रत्ना बाई नामक एक सेविका थी जिसने इस मंदिर का निर्माण कराया था और अपने ही नाम पर रतनेश्वर् मंदिर का नाम रख लिया, जिससे अहिल्या देवी क्रोधित हो गयीं और उन्होंने रत्ना बाई के द्वारा निर्मित मंदिर को श्राप दिया कि यह मंदिर झुक जाए.
वहीं दूसरी ओर लोग बताते है कि एक बार बाढ़ आने से घाट एक ओर से धँस गया था जिस कारण मंदिर टेढ़ा हो गया है।
यह दूसरे मंदिरों से ना सिर्फ अपने झुकाव के कारण भिन्न है बल्कि यहाँ पूजा ना होने के कारण भी यह मंदिर दूसरे मंदिरों से भिन्न है, यह मंदिर श्रपित होने के कारण ना तो इसमें किसी भी तरह की पूजा होती है और ना यहाँ कोई भी मूर्ति स्थापित की गयी है।
कुछ काशी के मित्रों का कहना है कि काशी करवट का मंदिर नहीं है। प्रायः आम आदमी यही समझता है कि यह मंदिर करवट ले चुका है और काशी करवट के नाम से है जबकि मूलतः काशी करवट का मंदिर वर्तमान में कचौड़ी गली के राजबंधु मिष्टान्न भंडार एवं नीलकंठ विश्वनाथ मंदिर द्वार के बीच में स्थित है जिसमें सामान्य भूतल से लगभग तीन मंजिल नीचे पाताल में शिवजी विराजमान है
जो मंदिर गंगा जी के पास मणि कर्णिका घाट के पास स्थित है वह मंदिर बनाने वालेराजा भक्त को घमंड हो जाने के कारण उसे श्राप दिया गया कि इस मंदिर में कभी भी नियमित पूजा नहीं हो सकेगी और यह मंदिर तब से इसी प्रकार झुका हुआ एवं सुनसान रहता है।