जय जगन्नाथ

 जगन्नाथपुरी धाम घूमने के लिए यह छोटी बड़ी जानकारी 

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पहले दिन 

1 मन्दिर दर्शन 

2 बीच (समुन्द्र के किनारे घुमाई )

पुरी, उड़ीसा के पूर्व में समुन्द्र तट पर स्थापित है। रेलवे स्टेशन से दूरी मात्र 2.5 कि.मी.। मन्दिर के 500 मीटर के क्षेत्र में होटल या धर्मशाला मिल जाएगा। सबसे अच्छा लोकेशन है, ग्रांट रोड मार्केट। यहाँ से मन्दिर मात्र 100मीटर दूर है।

मन्दिर में प्रवेश के लिए चारों दिशाओं में द्वार बने हैं। मन्दिर में मोबाइल, जूता चप्पल, इलेक्ट्रानिक सामान ले जाना मना है। लॉकर में फ्री में सारा समान जमा करा सकते हैं। लाइन में लग कर प्रवेश करेंगे। मुख्य मन्दिर में दर्शन के बाद महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र का दिव्य दर्शन करेंगे। मन्दिर प्रांगण में देवी देवताओं के बहुत से छोटे-छोटे मन्दिर हैं। परिसर में ही आनंद बाजार है। जहाँ महाप्रसाद मिलता है। प्रसाद बहुत स्वादिष्ट होता है। जितनी श्रद्धा हो टिकट लेकर प्रसाद खरीद सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति में भगवान श्री कृष्ण का दिल रख्खा हुआ है जो आज भी धड़क रहा है।

इस मन्दिर के बहुत से रहस्य भी हैं।  यहाँ का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है! दिन के किसी भी समय मन्दिर के गुम्बद की छाया नहीं बनती है। मन्दिर के ऊपर से कोई भी पंछी या जहाज नहीं गुजरता। यहाँ प्रभु की तीनों मुर्तियाँ लकड़ी की बनी हैं जिन्हें हर 12 साल में बदला जाता है। इस परम्परा को 'नव कलेवर' कहते हैं। सुबह 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक दर्शन कर सकते हैं, बीच में 11.30 से 1 बजे तक मन्दिर बन्द रहता है।

शाम को गोल्डेन बीच जो मन्दिर से 1.50 किमी दूर है। बहुत प्यारा समुन्द्र का किनारा है यहाँ खाने पीने की भी दिव्य व्यवस्था है। समुन्द्र घुमाई के बाद शाम को फिर मन्दिर कोरिडोर में वापस घूम सकते हैं। कोरिडोर बहुत शानदार है। यहाँ भगवान कृष्ण का मन्दिर है, हनुमान मन्दिर है, स्वामी नारायण मन्दिर है। शाम को 7 बजे के बाद लाइट एंड शो प्रोग्राम होता है।

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दूसरे दिन 

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बस या कार से 50 से 60 किमी की दूरी पर स्थापित जगहों में भ्रमण करेंगे।

(1)पुरी से 32 किमी दूर है,  चंद्र बाघा बीच। यहाँ पर चंद्र बाघा नदी बंगाल की खाड़ी से मिलती है।

(2)कोणार्क सूर्य मन्दिर... इस सूर्य मन्दिर का निर्माण 13वीं सदी में गंग वंश के महान राजा नरसिंघ देव ने कराया था जो कलिंग वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। यह भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। इस मन्दिर को काला पैगोड़ा भी कहा जाता है।

(3) धौली हिल शांति स्तूप...यह कोणार्क मन्दिर से 55 किमी दूर है। यह भगवान बुद्ध को समर्पित है।

(4) श्री लिंगराज मन्दिर...यह शांति स्तूप से 7 किमी दूर स्थित है। यह भगवान विष्णु और महादेव को समर्पित है। इस विशाल मन्दिर परिसर में 50 से ज्यादा देवी देवता के मन्दिर हैं।

(5) उदय गिरी और खंडा गिरी... यह लिंग राज मन्दिर से 12किमी दूर स्थित है। यहाँ बहुत सी प्राकृतिक गुफाएं बनी हुई हैं। इसका निर्माण गुप्त राजवंश ने जैन साधु संतों के लिए करवाया था। उदय गिरी और खंडा गिरी के अलावा जैन मन्दिर भी है।

(6) नंदन कानन जू.... यह उदय गिरी से लगभग 25 किमी दूर स्थित है। बहुत विशाल क्षेत्र में बना हुआ है।  यहाँ सभी प्रकार के जीव जंन्तु देखने को मिलते हैं। बच्चों के लिए चिल्ड्रेन पार्क, सेल्फी पॉइंट बने हैं। जू शाम 6 बजे बन्द हो जाता है। 

रात को पुरी वापस। समय हो तो तीसरे दिन चिल्का झील घूम सकते हैं। झील बहुत शानदार है, झील के बीच में खूबसूरत मन्दिर है। इसके अलावा समय हो तो और भी घूमने के स्थल हैं। यहाँ खाने पीने के लिए बढ़िया होटल और रेस्टुरेंट हैं। नार्मल बजट में छोटे बड़े ढाबे भी हैं। 

यहाँ आने का सबसे अच्छा शमय अक्टूबर से मार्च तक है।

.... @देवेन्द्र पाण्डेय।









वीडियो के लिंक...

https://youtu.be/7s0vE-16QPE?si=DCZ_sLWdK0wIs_Fj

https://youtu.be/rS8JI1LYVYg?si=kDvl9eLhoz5-4BN1

https://youtu.be/kFjLvJI_mCo?si=uOXR8Ht8-o6hDBBa