यह विश्वविद्यालय का सिंह द्वार है। इतनी सजावट इसलिए है कि विश्वविद्यालय परिवार महामना मदन मोहन मालवीय की 150वीँ जयंती मना रहा है। पिछले चित्रों में यह लिख चुका था इसलिए आवश्यकता नहीं समझी।..सुझाव के धन्यवाद।
फोटो बहुत अछ्छे आये हैं,नेपाल के राष्ट्रपति भी डी.लिट.की उपाधि से वीभुषित किये गये हैं इसी कार्यक्रम में.लगता है नेतागण बिना वजह केवल येक कार्यक्रम करने के लिए और समय बिताने के लिए डी.लिट. की उपाधि से विभूषित किये जाते हैं.
.तस्वीर खुद ही न बोल रही है संदीप जी पढ़िए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लिखा है .कर दी न जाटों वाली संस्थापक महा मना मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा है यह .और क्या बच्चे की जान लोगे .लो दो लाइना भी लो .
3hVirendra Sharma @Veerubhai1947 ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी Expand Reply Delete Favorite 3hVirendra Sharma @Veerubhai1947 ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का
जब हम छोटे थे (उम्र में) तब गर्मी की छुट्टियों में इलाहाबाद रहते थे.. जैसे अंग्रेजों की समर कैपिटल होती थी वैसे ही, इलाहाबाद हमारा ग्रीष्मावकाश का निवास होता था. और तब बनारस, विन्ध्याचल, मिर्जापुर, चुनार, रेणुकूट की यात्रा पक्की.. तब का.हि.वि. भी जाना होता था.. अब बहुत दिन हो गए!! एक बार पहले भी कहा था शायद.. हमारी अम्मा तो आज भी बीएचू कहती हैं!! :) बहुत सुन्दर तस्वीरें!!
बढ़िया तस्वीरें.........
ReplyDeleteअनु
चित्रों के साथ दो-चार लाईन का विवरण भी दिया होता तो समझने में ज्यादा आसानी रहती।
ReplyDeleteयह विश्वविद्यालय का सिंह द्वार है। इतनी सजावट इसलिए है कि विश्वविद्यालय परिवार महामना मदन मोहन मालवीय की 150वीँ जयंती मना रहा है। पिछले चित्रों में यह लिख चुका था इसलिए आवश्यकता नहीं समझी।..सुझाव के धन्यवाद।
Deleteसुबह के चित्रों में इतनी लाइटिंग ! व्यवस्था पर गहरी चोट की आपने :)
ReplyDeleteहा हा हा..अभी देखिए अंधेरा है..यहाँ बिजली ठीक सुबह 6 बजे बुझा दी जाती है। व्यवस्था दुरूस्त है।
Deleteआटो वाले इसे बीएचयू कहने की बजाय अपभ्रंश करके कहते हैं तो बिचू बिचू चिल्लाते हैं पहले तो मै सोच में पड गया कि ये बिचू क्या है सुंदर चित्रावली
ReplyDeleteफोटो बहुत अछ्छे आये हैं,नेपाल के राष्ट्रपति भी डी.लिट.की उपाधि से वीभुषित किये गये हैं इसी कार्यक्रम में.लगता है नेतागण बिना वजह केवल येक कार्यक्रम करने के लिए और समय बिताने के लिए डी.लिट. की उपाधि से विभूषित किये जाते हैं.
ReplyDeleteसुंदर चित्र हैं ... लड़ी मिजं जुड़े बल्ब भी स्पष्ट नज़र आ रहे हैं ...
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरें।
ReplyDeleteदो लाइना भी चाहिए।
ब्लॉग हों या बच्चे
एक दो ही अच्छे ! :)
.तस्वीर खुद ही न बोल रही है संदीप जी पढ़िए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लिखा है .कर दी न जाटों वाली
ReplyDeleteसंस्थापक महा मना मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा है यह .और क्या बच्चे की जान लोगे .लो दो लाइना भी लो .
3hVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी
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3hVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का
जब हम छोटे थे (उम्र में) तब गर्मी की छुट्टियों में इलाहाबाद रहते थे.. जैसे अंग्रेजों की समर कैपिटल होती थी वैसे ही, इलाहाबाद हमारा ग्रीष्मावकाश का निवास होता था. और तब बनारस, विन्ध्याचल, मिर्जापुर, चुनार, रेणुकूट की यात्रा पक्की.. तब का.हि.वि. भी जाना होता था.. अब बहुत दिन हो गए!! एक बार पहले भी कहा था शायद.. हमारी अम्मा तो आज भी बीएचू कहती हैं!! :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीरें!!
एक युग को साक्षात करती तस्वीरें
ReplyDeleteआनंद ही आनंद!!
ReplyDeleteदेखकर मन प्रफुल्लित हुआ। उस दौर को स्मरण करना मेरे लिए हमेशा रोचक होता है।
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