चलिए आज मै आपको सारनाथ ले चलता हूँ। यहाँ के बारे में आपको क्या बताना आप सभी इस पुन्य भूमि से पूर्व परिचित हैं। आपको बस यहाँ कि कुछ तस्वीरें दिखाना चाहता हूँ जो नववर्ष के पहले दिन की है। यह मुख्य मंदिर है। मंदिर के बीचों बीच प्राचीन घंटा दिखाई दे रहा है। अब यह नहीं बजता। खाली लटकता रहता है..शांत।
यह रहा घंटा। बजेगा कैसे! कुछ है ही नहीं..।
मंदिर के भीतर भगवान बुद्ध की शानदार प्रतिमा।
यह वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपने पाँच शिष्यों को पहला उपदेश दिया था। अब यहाँ मूर्तियाँ बना दी गई हैं। पीछे वट वृक्ष दिख रहा है। वृक्ष के नीचे जो मंदिर दिख रहा है उसके चारों ओर छोटी-छोटी सुंदर मूर्तियाँ हैं।
छोटी-छोटी मूर्तियाँ। इनके बारे में फिर कभी लिखूँगा..
बजने वाला विशाल नया घंटा यह रहा।
नववर्ष के पहले दिन शाम को मंदिर के चारों ओर दिये जलाकर सजावट की गई थी।
अंधेरे से लड़ता एक दीपक
चिंता मत कीजिए। आप यहाँ आते रहे तो मैं यहाँ के बारे में बहुत कुछ बताउंगा।
...जय बाबा सारनाथ की !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र हैं...
ReplyDeleteहम यहीं हैं.......बहुत ही सुन्दर हैं सभी चित्र।
ReplyDeleteदीपकों की कतारें रोक रही हैं यहीं .....अब आ गये हैं हम भी...
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