Mar 31, 2013
Mar 29, 2013
Mar 27, 2013
Mar 20, 2013
घाट
इन दो चित्रों में अभिव्यक्ति ढूँढिये। सूर्योदय का समय है। एक आदमी बैठकी लगा रहा है। एक ध्यान मग्न है। एक जाल समेट रहा है, पंडित जी गंगा स्नान को जा रहे हैं और एक स्त्री घाट किनारे बैठी है।
पंडित जी गंगा स्नान के बाद सीढ़ियाँ चढ़ते हुए अचानक से क्रोधित हो जाते हैं! स्त्री पर जल छिड़कते हैं। स्त्री डर कर भाग जाती है।
मैं अवाक देखता हूँ। पता चला कि यह वास्तविक दृश्य नहीं है। 'घाट' फिल्म की शूटिंग चल रही है। आगे बढ़ता हूँ तो एक विचार कौंधता है जेहन में..ऐसे दृश्य जब होते ही नहीं तो क्यों फिल्माये जाते हैं? फिर सोचता हूँ कि हो सकता है यह किसी प्राचीन कथा का संदर्भ हो जब विधवा या मलेच्छ स्त्री की छाया पड़ने से पंडित जी गंगा स्नान के बाद भी अशुद्ध हो जाया करते थे।
नोटः ये आज सुबह की तस्वीरें हैं।