आज से प्रारम्भ हो रही है नवरात्रि। प्रातः भ्रमण के बाद याद आया कि एक माटी के पात्र की आवाशयकता है। कुछ दीये भी चाहिए। वैसे तो बाज़ारों में खूब मिलते हैं मगर मन हुआ कोहरान बस्ती चला जाय। पता चला सारनाथ रेलवे स्टेशन से 3-4 किमी की दूरी पर है कोहरान बस्ती। पहुँच गया उनके द्वार। नजदीक से देखा कैसे बनते हैं माटी के दिये। कैसे बनते हैं खिलौने। बड़े प्यार से मिला कुम्हार का एक परिवार। आनंद आ गया इनसे मिलकर। ईश्वर से प्रार्थना कि हे भगवान! प्लास्टिक के युग में बचा कर रखना हमारी माटी की थाती। हमेशा खुशहाल रहें ये माटी के लोग। तस्वीरें मोबाइल की हैं। खूबसूरत तो नहीं हैं पर इन चित्रों में आनंद ही आनंद है।
वाकई में बहुत ही अच्छी चित्रमयी पोस्ट है.
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteसुंदर चित्र हैं. सभी अलग अलग नजरिये से ख़ास.
ReplyDeleteआभार।
DeleteIt's good to see it, but how is their economic condition ?
ReplyDeleteउस घर की कंडिशन अधिक खराब तो न थी।
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