खुशी चलकर किसी के घर कभी यूँ ही नहीं आई
कि जिसने ज़ोर अजमाया उसी के साथ भरमाई ।
खुशी की कामना कौन नहीं करता? सभी चाहते हैं कि खुशी मिले पर खुशी घर बैठे तो मिलती नहीं, कुछ प्रयत्न करना पड़ता है। खुशी के मायने भी सभी के लिए अलग-अलग होते हैं। कोई किसी को दुख देकर खुश होता है तो किसी को सुख देकर खुशी मिलते है। खुश रहने के अपने-अपने अंदाज हैं। इन लोगों को सारनाथ में हिरणों और आवारा देसी कुत्तों को सुबह-सुबह ब्रेड खिलाने में आनंद आता है और मुझे इनकी तस्वीरें खींच कर आपको दिखाने में आनंद आ रहा है। आपको पढ़कर और इन चित्रों को देखकर आनंद न आया तो और भी तरीके हैं खुश रहने के। ज़ोर आजमाते रहेए, खुश रहिये।
Aao bhi ham jsise hirnon ki kshudha shaant karte rahen, khush hote rahen...
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