Oct 24, 2015

वाह! बनारस। सुबह बनारस।


बालाजी मंदिर के सामने गंगा तट की एक मढ़ी जिस पर बैठ कर एक सूर्य की उपासना कर रहा  है तो दूसरा  संगीत की साधना। बांसुरी की मधुर धुन से जब ध्यान हटा तो याद आया कि यहीं कभी गूँजती थी भारत रत्न  स्व0 बिस्मिल्लाह खाँ की शहनाई। 


सूर्य की सुनहरी किरणें पड़तीं हैं तो घाटों की सुंदरता अचानक से बहुत बढ़ जाती है। यह ब्रह्मा घाट है। यहीं से जुड़ीं हैं आनंद की यादें । 


 सूर्योदय के समय गंगा स्नान का आनंद ही कुछ और है। 


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