कुछ चित्रों के गुम होने का अफसोस होता है। लाल घाट (जो गाय घाट और बूँदी परकोटा घाट के बीच है) के किनारे दोनों तरफ ऐसी मूर्तियाँ बनी थीं। एक तरफ सिपाही की, दूसरी तरफ रानी की। इसके पीछे कोई कहानी होगी, शायद कभी पता चले लेकिन आज ये दोनों मूर्तियाँ टूट चुकी हैं, गायब हैं। पग चिन्ह की तरह घाट किनारे दोनो के हल्के से निशान भर हैं। बाढ़ में टूट गई होंगी लेकिन मैने दोनो की तस्वीरें खींची थीं, एक मिली एक गुम है। फेसबुक मेमोरी में शायद कभी दिखे। मैं पोस्ट करके भूल जाता हूँ। अब जब मूर्ति टूट गई तो उसकी बहुत याद आ रही है।
लाल घाट के बगल में गोपी गोविंद घाट का यह शिलालेख है, अब सब लाल घाट में ही बोला जाता है।
बहुत बढ़िया. लिखा है........ ऐसी भग्नावषेश मूर्तियां देख कर मन बड़ा दुःखी सा हो जाता है......पता नहीं किस परिस्थिति में किस मनःस्थिति में ये सब बनाई गई होंगी... आज इस अवस्था में है
ReplyDeleteअब इस अवस्था में भी नहीं हैं।
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