अद्भुत कलाकृति का नमूना है महाकाल लोक। यहां शाम के समय घण्टों रहकर भी और बैठने का मन करता है। पौराणिक संदर्भों को लेकर खूबसूरत शिल्पकारी और भित्ति चित्र देखने का अवसर मिलता है, कोई प्रवेश शुल्क नहीं और कोई प्रतिबंध नहीं। न जूते उतारने/रखने की समस्या न फूल माला, पुजारियों से सामना। भक्त की तरह न जाना चाहें तो एक कला पारखी की तरह जा सकते हैं, भरपूर आनंद आएगा। यदि पौराणिक संदर्भों, भक्ति कथाओं का ज्ञान है तो शिल्पकारी और भित्ति चित्र को देख आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पाएंगे। कुछ भी ज्ञान नहीं है तो भी घूमने के लिए एक खूबसूरत जगह है, महाकाल लोक। हाँ, अमावस के समय न जाकर पूर्णिमा के आस पास जायेंगे तो अधिक आनंद आएगा, जैसे मैं गया था, फागुन पूर्णिमा के समय। नीचे भी कृत्रिम रोशनी, आकाश में पूर्णिमा का चांद और बगल में बह रही नदी।
यूट्यूब लिंक......
https://youtu.be/WJJ5bm42F9k
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