आज 27 अक्टूबर 2024 की शाम बोधिश्री के बैनर तले वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय मंजरी पाण्डेय जी के घर सभी सदस्यों द्वारा दीपावली मनाई गई, सभी ने कुछ न कुछ सुनाया और सुख के पल बिताए।
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आदरणीय मंजरी जी ने कार्यक्रम के बारे में लिखा...
बोधिश्री का दीपोत्सव संपन्न
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" बौद्धायन सोसाइटी " संस्था का बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों को समर्पित सामाजिक प्रकल्प " बोधिश्री " के सदस्यों के द्वारा " दीपोत्सव" आज दिनांक 27 अक्टूबर को सायं बौद्धायन के सारनाथ स्थित कार्यालय पर मनाया गया।
भावनात्मक संबल और सहयोग के लिये ,आनन्दमय जीवन जीने की कला सिखाने के लिये समर्पित "बोधिश्री" ने दीपोत्सव बड़ी ऊर्जा और उल्लासपूर्वक मनाया। इसमें कवि नाटककार समाजसेवी शायर, बोधिश्री के सदस्यों संग युवा कलाकारों की सांगीतिक प्रस्तुतियों ने मिलकर ऐसा रंग जमाया के मौसम भी ठहर गया । दिनभर से जारी बारिश की रिमझिम के बीच तनिक अवकाश में कार्यक्रम आरंभ हुआ परन्तु उसके बाद निर्बाध रूप से कार्यक्रम संपन्न हुआ । सबसे पहले मां सरस्वती मां लक्ष्मी की आराधना , सरस्वती वंदना ,बीच- बीच में कविता की छौंक, गीत , ग़ज़ल के साथ उत्सवी रंग ऐसा छाया के मौसम का मिजाज भी बदल गया। शामिल सदस्यों में डॉक्टर अभय कुमार जैन कवि देवेंद्र कुमार पाण्डेय ,शायर केशव शरण ,राजकुमार , वृषभान कुमार जी पटेल , शिवपूजन मौर्य जी, योगेंद्र सिन्हा ,श्रीमती शशि श्रीवास्तव ,नाट्यकर्मी बालमुकुंद त्रिपाठी , फिल्मकार नितेश गुप्ता अरविंद ,प्रीति भारद्वाज, कुसुम , सरिता पटेल ,के,के अस्थाना पत्रकार बंधु आदि थे।
शिवपूजन मौर्य ने शुभकामना संदेश दिया कि - अंदर का दिया जलाओ अंधेरा मिटाओ"! अप्प दीपो को हमें चरितार्थ करना चाहिए।
ग़ज़लकार केशव शरण जी योगेंद्र सिंह जी डॉक्टर अभय जैन , शशि श्रीवास्तव और अन्य लोगों ने अपने-अपने भावों को व्यक्त करते हुए धनतेरस और दीवाली की शुभकामनाएं दीं ।कवि देवेंद्र पाण्डेय ने पंक्तियां कहीं कि- "जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
जरूरत से ज्यादा कहीं जल न जाए ।
वरिष्ठ नाटक कलाकार बालमुकुंद त्रिपाठी ने सावन का महीना गाकर सबको झुमाया।हास्य व्यंग्य की कुछ पंक्तियां भी रखीं जिनमें "लिफाफा " हास्य के साथ दर्द बयां कर गया । युवाओं की सांगीतिक प्रस्तुतियों बरखा बदरिया,दीप से दीप जलाते रहो प्रेम की गंगा बहाते रहो,पायो जी मैने राम रतन धन पायो,राम आयेंगे आदि ने सबका मन मोहा। डॉक्टर मंजरी पाण्डेय ने धन्यवाद अपनी पंक्तियों के साथ दिया -
कुछ इस अंदाज़ से इस देश की जीनत बढ़ाते हैं
दिये मिल्लत की हम तो "मंजरी" हर पल जलाते हैं ।
मिसालें मिल नहीं सकती हमारे भाईचारे की
कि हम होली दिवाली ईद मिलजुल कर मनाते हैं।"
सब ने देव से दीप जलाए उत्सव बनाया और अंतर्ज्योति के प्रकाश की ऊर्जा अपने अंदर समेटे विदा हुए।
हर हर महादेव के उद्घोष के साथ आयोजन संपन्न हुआ ।
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