देवेन्द्र भाई! पता नहीं क्यों अभी भी मेरा मानना है कि किसी को एक मछली पकड़ कर देने से उसे मछली पकडना सिखाना बेहतर है.. किसी एक को न्याय दिलाने से अगर कुछ होना होता तो जेसिका लाल की घटना देख ही चुके हैं हम... आवश्यकता है कि न्याय प्रक्रिया को सुधारने के लिए आंदोलन किये जाएँ, पुलिस को कर्तव्यपरायण बनाने के लिए आंदोलन हों. बलात्कारी को फाँसी देने से न तो पीडिता की आबरू वापस आयेगी और न ही यह घटना मानवता के इतिहास की अंतिम घटना हो जायेगी. अपराध होने के पहले ही रोके जा सकें और अपराधी अपराध करने के पहले सौ बार सोचे, जबतक हम ऐसा माहौल नहीं बना सकते नागरिकों के लिए, तब तक फुटकर न्याय के लिए ऐसे ही गुहार लगाते रहेंगे हम!! तस्वीरें बहुत अच्छी!
बलात्कारी को फाँसी देने से न तो पीडिता की आबरू वापस आयेगी और न ही यह घटना मानवता के इतिहास की अंतिम घटना हो जायेगी.
...सही है लेकिन इसमे खतरा यह है कि हमारी इस सहिष्णुता का फायदा बलात्कारी सोच भी उठाती है। अपराधी अपराध करने से पहले तभी सोचेगा जब उसे फाँसी के फंदे पर लटकने का भय होगा। वैसे चित्र के माध्यम से मैने सिर्फ जो देखा वही प्रस्तुत किया है। अपनी सोच नहीं लिखी। हमे न्याय चाहिए शीर्षक भी बैनर से लिया है।..सादर।
....ज़रूर मिलेगा।
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.हम जागृति फैलाते रहें !
देवेन्द्र भाई! पता नहीं क्यों अभी भी मेरा मानना है कि किसी को एक मछली पकड़ कर देने से उसे मछली पकडना सिखाना बेहतर है.. किसी एक को न्याय दिलाने से अगर कुछ होना होता तो जेसिका लाल की घटना देख ही चुके हैं हम... आवश्यकता है कि न्याय प्रक्रिया को सुधारने के लिए आंदोलन किये जाएँ, पुलिस को कर्तव्यपरायण बनाने के लिए आंदोलन हों.
ReplyDeleteबलात्कारी को फाँसी देने से न तो पीडिता की आबरू वापस आयेगी और न ही यह घटना मानवता के इतिहास की अंतिम घटना हो जायेगी. अपराध होने के पहले ही रोके जा सकें और अपराधी अपराध करने के पहले सौ बार सोचे, जबतक हम ऐसा माहौल नहीं बना सकते नागरिकों के लिए, तब तक फुटकर न्याय के लिए ऐसे ही गुहार लगाते रहेंगे हम!!
तस्वीरें बहुत अच्छी!
बलात्कारी को फाँसी देने से न तो पीडिता की आबरू वापस आयेगी और न ही यह घटना मानवता के इतिहास की अंतिम घटना हो जायेगी.
Delete...सही है लेकिन इसमे खतरा यह है कि हमारी इस सहिष्णुता का फायदा बलात्कारी सोच भी उठाती है। अपराधी अपराध करने से पहले तभी सोचेगा जब उसे फाँसी के फंदे पर लटकने का भय होगा। वैसे चित्र के माध्यम से मैने सिर्फ जो देखा वही प्रस्तुत किया है। अपनी सोच नहीं लिखी। हमे न्याय चाहिए शीर्षक भी बैनर से लिया है।..सादर।