गंगा जी में साइबेरियन पंछियों का जमावड़ा है। नाव में सूर्योदय के दर्शन के लिए घूमने वाले यात्री इनके लिए कुछ दाना लिये रहते हैं। आओ-आओ की पुकार लगाते हैं। ये पंछी आवाज को पहचानने लगे हैं या दाने को ये तो वे ही जाने लेकिन सूर्योदय के समय इनको नावों के पीछे-पीछे भागते देखना बड़ा अच्छा लगता है।
यहाँ घाट पर वृक्ष नहीं हैं। दशाश्वमेध घाट के पास गमलों में पौधे लगे हैं।
ऐसा कोई किला नहीं है घाट में।
बनारस में गंगा भक्ति, शिव भक्ति कोई अचरज की बात नहीं है लेकिन इस बनारसी भक्त को देखिये। ये स्नान-ध्यान के पश्चात गंगा घाट की मिट्टी से ताजे शिवलिंग की स्थापना करने के बाद सूर्योदय के समय शिव को गंगाजल चढ़ा रहे हैं! बनारस और सुबहे बनारस को आत्मसात करने के लिए समय देना होता है। तुलसी, कबीर ने यूँ ही नहीं इसे अपने हृदय में बसाया होगा!
नोटः यह पोस्ट बेचैन आत्मा नामक ब्लॉग में प्रकाशित थी। जब चित्रों का अलग से ब्लॉग बना दिया तो सोचा इन्हें यहाँ सजा दिया जाय।
अद्भुद चित्र हैं.... आभार
ReplyDeleteचित्र बहुत ही सुन्दर हैं...नोट देने की जरूरत नहीं है ...कहीं भी सजाया जा सकता है इतने सुन्दर चित्रों को ... हम सजा लेते हैं, आपके चित्रों को फ़ेसबुक हेडर.. और पूछते भी नहीं न बताते... :-) वो सूरज मुखी वाला ले लिया था...अब बात निकली तो बता दिया !.. :-)
ReplyDeleteअद्भुत ....कभी ये नज़ारे स्वयं देख सकें ये इच्छा ज़रूर है ....
ReplyDelete...मेरा वाला,दूसरा वाला !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत दृश्य !
ReplyDeletebahut hi khubsurat .....lajwab..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पहली वाली तस्वीर तो लाजवाब है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र... पहली तस्वीर लाजवाब है... जल में पड़ती सूर्य की सुनहरी झिलमिल छाया...
ReplyDeleteसुन्दर चित्र .. बनारस याद आ गया ..
ReplyDeleteसुन्दर चित्र.....
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