सबसे पहले तो मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि यह कोई ट्रिक फोटोग्राफी नहीं है। आज शाम मेरे साधारण कैमरे से गंगा घाट पर सामने से खींची गई चाँद की तस्वीर है। जिस वक्त मैं चाँद देख रहा था मुझे एक ही चाँद दिख रहा था( यह भी हो सकता है कि मैने उस वक्त दूसरे चाँद को नोटिस ही न किया हो! ) लेकिन घर आकर मैने जब अपनी तस्वीरें देखनी शुरू कीं तो इस चित्र को देखकर चौंक गया। यह क्या? इसमें दो चाँद कहाँ से आ गये! कुछ समझ में नहीँ आया तो आनन फानन में एक काम किया कि इसे फेसबुक में शेयर कर दिया। काई पो छे फिल्म देखने का मैने पहले से ही प्रोग्राम बना रखा था सो पोस्ट करके मैं फिल्म देखने चला गया। हॉल में घुसने से पहले डा0 अरविंद मिश्र जी की बधाई फोन पर मिली और मैने उनको बता दिया कि मैं फिल्म देखने जा रहा हूँ। लौट कर देखा तो चित्र पर खूब बहस छिड़ी हुई थी। कभी डा0 अरविंद मिश्र जी की बात सही लगती कभी श्री निशांत मिश्र की बात सही लगती कि हो सकता है कैमरे में ही कुछ खराबी आ गई हो। मैने उस वक्त खींची अपनी दूसरी तस्वीरों को खगालना शुरू किया तो ध्यान से देखने पर यहाँ भी दूसरा चाँद तारे जैसा दिखा तो मुझे डा0अरविंद मिश्र जी की बात पर यकीन हो गया।
यह तस्वीर एक दो मिनट बाद की है। इसे क्लिक करके ध्यान से देखने पर पहले चित्र वाला दूसरा चाँद, तारे जैसा दिख जायेगा।
दूसरा पिंड आसानी से नहीं दिख रहा है। इसलिए अब इसमें घेरा बना दिया हूँ। इसी के भीतर है।
एक और शख्स अपने टैब पर उस वक्त चाँद की तस्वीरें खींच रहा था। मुझे उसकी चाँद की तस्वीर अधिक खूबसूरत लगी तो मैने उससे कहा ..प्लीज ओपेन योर टैब आई वांट अ पिक्चर.. । उसने टैब खोला और मैने सोचा कि चाँद को जरा इसके टैब से उतार कर देखते हैं लेकिन ऐसा कहाँ संभव था!
है न चित्रों में आनंद ?
अब इतनी बार चाँद देखा तो एक गीत याद आ गया--- न ये चाँद होगा न तारे रहेंगे मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे .... :-)
ReplyDeleteहै तो चित्रों में आनन्द!!
ReplyDeleteगज़ब...!
ReplyDeleteवाह....
ReplyDelete