सारनाथ में जहाँ कई 'स्तूप' हैं उसे हम बोलचाल में 'खंडहर' ही कहते हैं। वहाँ नीम के बहुत से घने पेड़ हैं। यहाँ इन स्तूपों के बीच मोर को नृत्य करते और मोरनियों को उसके इर्द-गिर्द चुगते देखा जा सकता है। बारिश के मौसम में तो यह दृश्य आम बात होती है। आज मोर बहुत उदास दिखा। कोई मोरनी नहीं थी दूर-दूर तक। नृत्य के लिए पंख फैलाता फिर समेट लेता। कभी इस स्तूप पर चढ़कर कभी उस स्तूप पर चढ़कर मोरनी को ढूँढ रहा था।
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