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कथा का अंत दुखांत लगा !
जी कथा का अंत दुखांत है
कथा परम सत्य ! कमल अति सुन्दर !
कथा बांचने के लिए आभार आपका.
रास्ते के किनारे किनारे कमल क़तार में खिले हैं , ये बहुत सुंदर लग रहा है , जैन मंदिर सारनाथ का है क्या ?
इतने हड़बड़ी से क्यों पढ़े दादा.? किनारे-किनारे कमल खिले नहीं हैं. खिले कमल को पत्थरों पर कतार से ला कर रखे गए हैं. यह एक कहानी है. जरा धैर्य से पढ़िए.
कमल एक खिला फिर पथ शोभा बना फिर पितांबर शोभा
:)
कमल - पापा के शब्द याद आते हैं "बेटी,कमल बनना"
मतलब कीचड़ में रहकर भी कमल की तरह खिलना. यहाँ तो कमल को पत्थरों के हवाले कर दिया लोगों ने.
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Deleteजी कथा का अंत दुखांत है
ReplyDeleteकथा परम सत्य ! कमल अति सुन्दर !
ReplyDeleteकथा बांचने के लिए आभार आपका.
Deleteरास्ते के किनारे किनारे कमल क़तार में खिले हैं , ये बहुत सुंदर लग रहा है , जैन मंदिर सारनाथ का है क्या ?
ReplyDeleteइतने हड़बड़ी से क्यों पढ़े दादा.? किनारे-किनारे कमल खिले नहीं हैं. खिले कमल को पत्थरों पर कतार से ला कर रखे गए हैं. यह एक कहानी है. जरा धैर्य से पढ़िए.
Deleteकमल एक खिला
ReplyDeleteफिर पथ शोभा बना
फिर पितांबर शोभा
:)
Deleteकमल - पापा के शब्द याद आते हैं
ReplyDelete"बेटी,कमल बनना"
मतलब कीचड़ में रहकर भी कमल की तरह खिलना. यहाँ तो कमल को पत्थरों के हवाले कर दिया लोगों ने.
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