Jun 28, 2013

मोर-2

सारनाथ में जहाँ कई 'स्तूप' हैं उसे हम बोलचाल में 'खंडहर' ही कहते हैं। वहाँ नीम के बहुत से घने पेड़ हैं। यहाँ इन स्तूपों के बीच मोर को नृत्य करते और मोरनियों को उसके इर्द-गिर्द चुगते देखा जा सकता है। बारिश के मौसम में तो यह दृश्य आम बात होती है। आज मोर बहुत उदास  दिखा। कोई मोरनी नहीं थी दूर-दूर तक। नृत्य के लिए पंख फैलाता फिर समेट लेता। कभी इस स्तूप पर चढ़कर कभी उस स्तूप पर चढ़कर मोरनी को ढूँढ रहा था।





Jun 27, 2013

बारिश में...

बारिश हुई तो आकाश फाड़ कर हुई. पहाड़ों के छप्पर ही नहीं घर भी बह गये . ऐसा लग रहा है जैसे इन्द्र ने सभी नल एक साथ खोल दिए हों. पहाड़ों में जहाँ देखो वहीँ झरने बह रहे हैं. छोटे-छोटे नाले तेज बहने वाली पहाड़ी नदी बन चुकी है. नदियाँ उफान पर हैं. तराई में पानी में डूबे खेत देखो तो लगता है चारों ओर समुन्द्र फैला है.









नोट: सभी तस्वीरें चलती बस से खींची गई हैं।

Jun 8, 2013

मूर्ख चिड़िया!




ये दो पाये ऐसा क्यों करते हैं ? तेज धूप में फूल को तोड़कर पत्थर पर क्यों रखते हैं? 

तुम  मूर्ख हो! ये भगवान की पूजा करते हैं।