Nov 27, 2015

यादों की पतंग!

दिन ढलने वाला है। निकलने वाला है कार्तिक पूर्णिमा का चाँद। बनारस के घाटों पर ज़ोर शोर से चल रही है देव दीपावली की तैयारी। साफ-स्वच्छ घाटों पर मेले जैसा माहौल है। अपने-अपने ठेले लेकर आए हैं दुकानदार। 
हमने देखे गज़ब नजारे मेले में
    लाये थे वो चाँद-सितारे ठेले में । 


तभी निगाह इस बालक पर पड़ती है। एक पतंग लिए दौड़ा चला आ रहा है! इसे देख आनंद की याद हो आई । 


मैंने कहा-रुको! एक तस्वीर तो खींचने दो..... और यह बहादुर लड़का खुशी-खुशी मान गया। 



Nov 26, 2015

श्रद्धांजलि

वाराणसी के तुलसी घाट पर कृष्ण लीला के अंतर्गत कार्तिक पूर्णिमा के दिन 'कंस वध' की लीला होती है। सामने कंस का पुतला दिख रहा है। इस बार इसी स्थल पर पेरिस का एफिल टावर भी बनाया गया है। 


एफिल टावर के सामने खड़े होकर पेरिस में आतंकवादी घटना से मारे जाने वाले निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई। 




Nov 22, 2015

धरोहर....1

यह पंचगंगा घाट स्थित माधवराव का धरहरा की तस्वीरें हैं। देखिये 1865 में कैसा था और अब कैसा है! क्या हम अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को बचा पाये हैं ? इस पर सनातन कालयात्री ने खूब लिखा है। 
1865 


1865 


2015 


Nov 2, 2015

ध्यान, ध्यानी और धमेख स्तूप

यह सारनाथ स्थित धमेख स्तूप है।  
  

प्रातः भ्रमण के समय इसके इर्द-गिर्द बौद्ध धर्म के अनुयायी ध्यान करते हुए दिख जाते हैं। 


यहाँ के लोगों के लिए ये दृश्य आम बात हैं।


धमेख स्तूप के खंडहर में आने के लिए टिकट लगता है। स्तूप के बाहर जैन मंदिर है। जहां यह लड़का ध्यान लगा रहा है। यह ऊपर वाली पहली तस्वीर का छोर है। यहाँ टिकट नहीं लगता। यह गाँव का एक सामान्य लड़का है। मैं इसे नहीं जानता। बस इतना जानता हूँ कि यह यहाँ रोज इसी मुद्रा में घंटों ध्यान लगाता है। न कोई मंत्र पढ़ता है न किताब लिए है। अनपढ़ लगता है। यह मुझे अधिक आकर्षित करता है।