यह कमल का तालाब है। तस्वीर पिछले साल की है। खूब खिले थे कमल।
धीरे-धीरे कमल मुर्झाने लगे। तालाब का पानी गंदा हो गया। याद आने लगे दुष्यंत कुमार....
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो, ये कँवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं।
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो, ये कँवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं।
एक दिन माली ने पूरे तालाब की सफाई कर दी। पुराने कमल सब काट-छांट दिये।
समय बदला। धीरे-धीरे नये पत्ते अंकुरित होने लगे। खिलने लगे ताजे कमल।
तालाब फिर से खूबसूरत हो गया।
वैसे दुष्यंत कुमार सिर्फ इस तालाब के पानी को बदलने की बात नहीं कर रहे..:)
Beautiful!
ReplyDeletelovely....
ReplyDeleteBeautiful...
ReplyDeleteWowwwwwwww!!!!!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (27 -4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाकई ख़ूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteकमल का पुष्प, मानव के जीवन एवं उसके दिनचर्या का प्रतीक है.....
ReplyDeleteखूबसूरत फुलवाड़ी !
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