वैशाख-जेठ की दोपहरी में भी पकृति अपने रंगों की छटा बिखेरती है। कहीं गुलमोहर की लाली तो कहीं अमलतास के पीले फूल। गुलमोहर की लाली तो इस समय देखते ही बनती है। लगता है लगन का मुहूरत देखकर प्रकृति भी शर्मा गई है। अमलतास के पीले फूलों की बीच लटके काले फलों को देखकर लगता है जैसे अनगिनत छोटी-छोटी तलवारें लिये तेज धूप में कोई शख्स खड़ा है। हार चुका है, पियरा गया है मगर पीलेपन में भी गज़ब की चमक है! अभी लड़ने का हौसला रखता है। इन सब से बेखबर आम के झुरमुटों से कूकती कोयल, अनगिन खिले कँवल... यह धूप का सौंदर्य नहीं है तो और क्या है! यह मेहनतकश मजदूरों का, संघर्षशील प्राणियों का सौंदर्य नहीं है तो और क्या है!
प्रकृति के सुंदर रंग ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति .बधाई . . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
ReplyDeleteप्र्कृती का बहुत खूबसूरत चित्रण
ReplyDeletedevendra ji, aap itni badhiyan photo lete hain...blog ke saath saath ek fb page bhi aapko shuru kar dena chaahiye...apni photography ka...
ReplyDeletebahut real tasveeren hoti hain aapki...sabhi ki sabhi..
Nature manifests itself by thousand and one ways.....
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