जब से तू आया है
झगड़ू की बकरी
स्वेटर पहन के
घूम रही है
यादो जी भी
भैंस को कथरी
ओढ़ा रहे हैं
एक अकेली कुतिया
पिल्ले जिला रही है,
एक अकेला
पाड़ा
थर-थर कांप रहा है।
ओ दिसम्बर!
जब से तू आया है
घर के दर्पण में
चकाचक भाप जमी है
साफ़ करो तब
अपना चेहरा दिखता है।
.....
व्वाहहहहहहह
ReplyDeleteबेहतरीन
सादर
जी सर,
ReplyDeleteकृपया स्पेम में देखिए न पाँच लिंकों का आमंत्रण होगा।
सादर।
दिसंबर के साइड इफेक्ट्स .... यथार्थ अवलोकन ।
ReplyDeleteभैंस बकरी स्वेटर कथरी में...अमीरों की हैं न..गरीब नंगे भूखे मरे, कौन पूछता है । सब थोड़े न दर्पण साफ करते हैं।
ReplyDeleteआइना दिखाता बेहतरीन सृजन ।