May 13, 2023

अमृत कुण्ड

राजघाट पुल से उतरकर कज्जाकपुरा, चौकाघट की ओर ज्यों ही दस कदम चलेंगे दाहिनी ओर बसंत कॉलेज जाने का मार्ग है। बसंत कॉलेज मार्ग में मुड़कर लगभग १०० मीटर की दूरी पार करते ही, दाहिनी ओर एक जिंदा कुआं मिलता है, जिसे बनारसी अमृतकुण्ड कहते हैं। जिंदा कुआं इसलिए लिखा कि मेरे देखते-देखते ५० वर्षों में कई कुएं सूख गए। कुओं का अब उपयोग ही बंद हो चुका है। घर-घर में बोरिंग हो चुकी और पानी मशीन के द्वारा टंकी में चढ़ जाता है। यही एक कुआं दिखता है जिसका पानी आज भी लोग खूब पीते हैं। यहां के पानी को अमृत के समान स्वास्थ्य के लिए उपयोगी मानते हैं इसलिए इसे अमृतकुण्ड कहते हैं। 

हम बचपन से यहां का पानी पी रहे हैं। पहले नियमित भी पीते थे, अब यदा कदा आ पाते हैं। मेरे घर से इसकी दूरी लगभग १० किमी होगी। साइकिल चलाकर रोज यहां तक आना कठिन काम है। पहले पानी रस्सी के द्वारा बाल्टी से निकाला जाता था। सच है नहीं पता नहीं लेकिन सुना है इसमें गिरने से किसी की मौत के बाद इसे लोहे के पत्तरों से, स्थाई रूप से ढक दिया गया है। पानी निकालने के लिए इसमें हैंड पाइप लगी है, एक आदमी पानी निकालता है, दूसरा पीता है। मैं जब भी यहां आया हूं, कोई पानी पिलाने वाला मिल ही गया है। भक्त लोग यहां पुण्य कमाने के लिए परिंदों को दाना और चीटियों को आटा बिखेरते हैं।


यूट्यूब लिंक....

https://youtu.be/T7t9UUZHaNY 

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