चित्रों का आनंद अद्भुत है। फेसबुक पेज में भी आप आनंद लेते हैं मगर एक चित्र देखकर आनंद लेना और यहाँ ब्लॉग में एक से अधिक चित्र देखकर आनंद लेने में बड़ा फर्क है। यहाँ चित्र आपसे बिन कहे बहुत कुछ कहते मिलेंगे। कभी-कभी संदर्भ भी लिख देता हूँ मगर न लिखूँ तो भी आप समझ ही जायेंगे कि ये चित्रों की पोस्ट क्या कहना चाहती है।
गंगा जी अपने रौद्र रूप में आ चुकी हैं। किनारे रहने वालों के लिए बड़ी भयावह स्थिति है। किसी ने लिखा कि लोग बाढ़ में डूब रहे हैं और आप आनंद ले रहे हैं? बात तो चुभती कही उन्होने मगर सोचिए, ये चित्र न होते हम जान भी न पाते कि लोगों की स्थिति कैसी है! ये चित्र सच्चाई बयान करते हैं। हमे सच्चाई का सामना करना भी सीखना होगा। खुशी देने वाले चित्रों का हम आनंद लेते हैं तो दुःख देने वाले चित्रों का भी आनंद लेना होगा। जैसे खुशी स्थाई नहीं वैसे ही दुःख के पल भी बीत जाते हैं। ये कष्ट के पल ही हैं जो संकट टल जाने के बाद आजीवन आपकी यादों में आ आकर आपको रोमांचित करते रहेंगे, आनंद का एहसास कराते रहेंगे। यही है चित्रों का आनंद।
अब इस चित्र को देखिए। यह आज सुबह की तस्वीर है। गंगा जी में बने खम्भे अब बहुत कम दिख रहे हैं। रेलवे ट्रैक पर मालगाड़ी बहुत ही धीमी रफ्तार से सरक रही है।
यह लगभग दस दिन पहले की तस्वीर है। अब इस तस्वीर और पहले वाली तस्वीर को साथ-साथ देखने पर आपको अंदाजा हो जायेगा कि गंगा कितनी बढ़ चुकी हैं।
यह आज सुबह की तस्वीर है। गंगा में लाख बाढ़ आये लेकिन स्नान करने वाले अपना कर्म नहीं छोड़ते। गंगा स्नान के बाद अंगोछा पहन कर एक हाथ में साफ किया हुआ दूसरा अंगोछा, लंगोट और दूसरे हाथ में गंगाजल लिये चले आ रहे हैं।
यह लगभग एक सप्ताह पहले शाम के समय खींची गई तस्वीर है। इसी मार्ग से चलकर उपर वाले सज्जन आ रहे थे। यहीं एक मंदिर है जहाँ दर्शन करने गये होंगे।
यह आज सुबह की तस्वीर है।
यह लगभग 15 दिन पहले शाम के समय की तस्वीर है। जब गंगा इतनी नहीं बढ़ी थीं।
बहुत खूब....वाकई तस्वीरों का अपना अलग रंग होता है और देखने वालों की दृष्टि भी..
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