दिन ढलने वाला है। निकलने वाला है कार्तिक पूर्णिमा का चाँद। बनारस के घाटों पर ज़ोर शोर से चल रही है देव दीपावली की तैयारी। साफ-स्वच्छ घाटों पर मेले जैसा माहौल है। अपने-अपने ठेले लेकर आए हैं दुकानदार।
हमने देखे गज़ब नजारे मेले में
लाये थे वो चाँद-सितारे ठेले में ।
तभी निगाह इस बालक पर पड़ती है। एक पतंग लिए दौड़ा चला आ रहा है! इसे देख आनंद की याद हो आई ।
मैंने कहा-रुको! एक तस्वीर तो खींचने दो..... और यह बहादुर लड़का खुशी-खुशी मान गया।
badon ko fursat hi kahaan duniyadari ke chkrabyuah se !
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
Sundar.....happy republic day
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