Oct 15, 2022

कुआँ

सूर्योदय हो रहा है। सामने मर चुका कुँआ है। कभी कितनों की प्यास बुझाता होगा, अब धरोहर की तरह पड़ा है। भविष्य में नई पीढ़ी यह भी नहीं देख पाएगी।



1 comment:

  1. शाश्वत तो शायद कुछ भी नहीं।
    समय की बारिश में सभी निशानियाँ फीकी पड़ ही जाती हैं।
    प्रतिबिंबित किरणों से का सुंदर चित्र।
    सादर।

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