सूर्योदय हो रहा है। सामने मर चुका कुँआ है। कभी कितनों की प्यास बुझाता होगा, अब धरोहर की तरह पड़ा है। भविष्य में नई पीढ़ी यह भी नहीं देख पाएगी।
शाश्वत तो शायद कुछ भी नहीं।समय की बारिश में सभी निशानियाँ फीकी पड़ ही जाती हैं।प्रतिबिंबित किरणों से का सुंदर चित्र।सादर।
शाश्वत तो शायद कुछ भी नहीं।
ReplyDeleteसमय की बारिश में सभी निशानियाँ फीकी पड़ ही जाती हैं।
प्रतिबिंबित किरणों से का सुंदर चित्र।
सादर।