Jan 24, 2013

प्रकृति

चित्रों में आनंद तो होता ही है एक अभिव्यक्ति भी होती है। एक दर्शन भी छुपा होता है। बात सिर्फ ध्यान से देखने और समझने की है। सूर्योदय हो चुका है। ये मौलाना रोज की तरह आज भी परिंदों को दाना खिला रहे हैं।


मौलाना अब इनको छोड़कर नीचे उतर चुके हैं। परिंदे भी दाना चुगने में मस्त हैं। 


चित्र में दूर एक  दूसरा आदमी मछलियों को चारा खिला रहा है। मछलियाँ चारा खा भी रही होंगी। एक लड़का जो शायद संगीत का विद्यार्थी है सीढ़ियों पर बैठकर आँखें बंद कर के पूरी तल्लीनता से बांसुरी बजा रहा है।   


अचानक से एक बाज़ कहीं से आ जाता है। कबूतरों पर झपटता है। कबूतर भय के मारे उड़ने लगते हैं। बांसुरी की धुन रूक जाती है। शांत वातावरण अचानक से अशांत हो जाता है। यही प्रकृति है। 


बाज़ के अलावा इन चित्रों में सबकुछ दिख रहा है जो मैने लिखा। बस यही समझना है कि इत्ते परिंदे अचानक से क्यों उड़ने लगे? बांसुरी बजाता लड़का अचानक से क्यों ठिठक गया?  कुछ तो है....


4 comments:

  1. कुछ क्या है .......वो व्यवधान आपको बेहतर पता होगा .

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  2. कुछ..यहाँ तो बाज़ है ही। फोटो खींचने वाले को बेहतर पता होना चाहिए लेकिन यह जरूरी नहीं..देखने वाला अधिक समझदार हुआ तो कुछ का कुछ दूसरा अर्थ भी दे सकता है।

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  3. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 30/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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