कड़ाकी ठंड का कोई असर गंगा घाट के किनारे रहने वाले बच्चों पर पड़ता नहीं दिखता। ये पतंगबाजी के जोश में उसी तरह लगे हैं। शाम के चार बजे जब सूरज बादलों की ओट में कहर रहा था और मरियल कुत्ते सी सिकुड़ने लगी थी जाड़े की धूप घाटों और नावों में ये बच्चे पतंग उड़ाने में मशगूल थे।
नावों से पतंग उड़ाई जा रही है और नावों में लूटी भी जा रही है कटी पतंग!
कितना जोश और कितना स्वच्छंद बचपन है! शहरों में रहने वाले इसकी कल्पना ही नहीं कर सकते। मैने इसी बचपन के बारे में लिखा था आनंद की यादें में। इन बच्चों को देखकर मुझे अपना बचपन भी याद आ गया। यहाँ अहीर, मल्लाह या ब्राह्मणों के बच्चों में कोई जाति भेद दूर-दूर तक नहीं दिखता। सभी एक रंग में रंगे गंगा के छोरे ही होते हैं। देखिये, कितना छोटा है यह बालक! नाव चलाकर पतंग लूटने के चक्कर में ....
इतनी छोटी उम्र और यह दोस्ती! हैं न आनंद की यादें के मुन्ना या जंगली की तरह?
लो! लाख प्रयासों के बाद भी..गई पतंग पानी में..!!
यह चित्र अर्चना जी की मांग पर...
/नोटःये तस्वीरें आज की घुमक्कड़ी के परिणाम हैं।
ये अब तक के सबसे बेस्ट फोटो लगे ...कभी देखे नहीं नाव और नदी में पतंग... ...रोमांचक लगा देखकर ही ....लेकिन ऊपर उड़ती पतंग को भी देखना है साथ में ...शायद लेट कर लेना पड़े फोटो....:-)
ReplyDeleteआनंद की यादें का हेडर देखिये...
Deleteवॉआआआऑव्व्व्व्व....चिल्लाने का मन कर रहा है....
Deleteमजा आया देखकर ...बहुत-बहुत धन्यवाद आपका...
....रोमांचक !
ReplyDeleteपहली बार देखी नाव में पतंगबाज़ी.......गज़ब के फोटू.....आपकी घुमक्कड़ी बनी रहे ।
ReplyDeletealokik...abhar
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